महात्मा गांधी भाषण - हिंदी ( Speech on Mahatma Gandhi in Hindi )

 



गाँधी जयंती पर भाषण (Short and Long Speech on Gandhi Jayanti in Hindi)

भाषण - 1

सभी माननीयों, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को सुबह का नमस्कार। जैसा कि हम सभी जानते है कि हम सब यहाँ एक प्यारा उत्सव मनाने जुटे हैं जो गाँधी जयंती कहलाता है, इस अवसर पर मैं आप सब के सामने एक भाषण देना चाहता हूँ। मेरे प्यारे दोस्तों, 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी का जन्मदिन है।

राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष पूरे उत्साह के साथ हम इस दिन को मनाते है साथ ही साथ अंग्रेजी शासन से देश के लिये स्वतंत्रता संघर्ष के रास्ते में उनके हिम्मतपूर्णं कार्यों को याद करते हैं। पूरे भारत में एक बड़े राष्ट्रीय अवकाश के रुप में हमलोग गाँधी जयंती मनाते हैं। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है और वो बापू तथा राष्ट्रपिता के नाम से भी प्रसिद्ध है।

2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकि अपने पूरे जीवन भर वह अहिंसा के उपदेशक रहे। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्ररीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया है। हमलोग हमेशा बापू को शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद करेंगे। बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था जबकि उन्होंने अपने पूरे जीवनभर बड़े-बड़े कार्य किये।

वह एक वकील थे और उन्होंने अपनी कानून की डिग्री इंग्लैंड से ली और वकालत दक्षिण अफ्रीका में किया। “सच के साथ प्रयोग” के नाम से अपनी जीवनी में उन्होंने स्वतंत्रता के अपने पूरे इतिहास को बताया है। जब तक की आजादी मिल नहीं गयी वह अपने पूरे जीवन भर भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजी शासन के खिलाफ पूरे धैर्य और हिम्मत के साथ लड़ते रहे।

सादा जीवन और उच्च विचार सोच के व्यक्ति थे गाँधी जी जिसको एक उदाहरण के रुप में उन्होंने हमारे सामने रखा। वो धुम्रपान, मद्यपान, अस्पृश्यता और माँसाहारी के घोर विरोधी थे। भारतीय सरकार द्वारा उनकी जयंती के दिन शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है। वो सच्चाई और अहिंसा के पथ-प्रदर्शक थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की।

नयी दिल्ली के राजघाट पर इसे ढ़ेर सारी तैयारीयों के साथ मनाया जाता है जैसे प्रार्थना, फूल चढ़ाना, उनका पसंदीदा गाना “रघुपति राघव राजा राम” आदि बजाकर गाँधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। मैं आप सबसे उनके एक महान कथन को बाँटना चाहूँगा “व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वो जो सोचता है वही बन जाता है”।

जय हिन्द

धन्यवाद


भाषण - महात्मा गांधी 


    आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षक गण एवं मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों आज मैं गांधी जयंती के उपलक्ष पर आप सभी को उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते बताने जा रही हूं।

आया था एक नन्हा सा बालक 2 अक्टूबर को इस दुनिया में, छोटे-छोटे हाथों मे एक स्वतंत्र भारत का सौगात लिये। 13 वर्ष कि अवस्था में इनका कस्तूरबा से ब्याह हुआ, और आगे कि शिक्षा के लिये इनका विदेश को गमन हुआ। धीरे-धीरे फिर इनको अपने भारत कि दुर्दशा दिखी, कि कैसे अंग्रजों के आने से, हमारा अपने ही देश में दमन हुआ।

बहुत हुआ अब अत्याचार, अंग्रेजों को होने वाली अब कठिनाई थी। साधारण सा था वो बालक, पर इसने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई थी। अहिंसा था जिसका हथियार और सत्य को जिसने अपना राह चुना। लोग प्यार से इन्हे बापू बुलाते और महात्मा कि उपाधी भी इन्होने ही कमाइ थी। एक व्यक्तित्व थे असाधारण से, दुबली पतली सी जिनकी काया थी। पर वह हिम्मत ही थी इनकी, जिसने हमें आजादी दिलाया।

महापुरुष थे वे उस दौर के और वे हर युग में कहलाएंगे। जब-जब दुस्साहस करेगा दुश्मन, तो हम भी इतिहास दोहराएंगे। वो मोहन दास करमचंद गांधी थे जो सदैव राषट्र पिता कहलाएंगे और हर वर्ष इनका जन्मोत्सव हम बड़े हर्षों-उल्लास के साथ मनाएंगे।

जय हिंद।

Short Speech on Mahatma Gandhi in Hindi


   आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, उप प्रधानाचार्य महोदय, माननीय शिक्षक गण एवं मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों। आज गांधी जयंती के अवसर पर मुझे इतने महान पुरूष के बारे मे बोलने का अवसर प्राप्त कर बड़े गर्व कि अनुभूति हो रही है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और माता थीं पुतली बाई। उनका विवाह 13 वर्ष कि अवस्था में कस्तूरबा के साथ हो गया था। वे गुजरात के रहने वाले थे।

मैट्रक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे आगे वकालत पढ़ने विदेश चले गये। वहां से लौटने के बाद उन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई। सत्य अहिंसा का मार्ग अपना के उन्होने इतिहास में अपने नाम को सुनहरे अक्षरों मे दर्ज कराया और महात्मा, राष्ट्रपिता जैसी उपाधियां प्राप्त की। लोग इन्हे प्यार से बापू बुलाते थे। हमें इनसे अहिंसा का पाठ पढ़ना चाहिये और यह सीखना चाहिये कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिये।

जय हिंद!

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